यह ड्रैगन फ्रूट ऐसा, जिसकी दुम पर पैसा

यह ड्रैगन फ्रूट ऐसा, बीस साल तक बरसे पैसा : जानें ड्रैगन फ्रूट की जैविक खेती का राज

हम बात कर रहे हैें ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की। इसे पिताया फल (
pitaya or pitahaya) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी जैविक खेती करने वाले भारत के किसान मित्र भरपूर कमाई कर रहे हैं। लगभग बीस सालों तक किसान की कमाई का जरिया बने रहने वाले इस फ्रूट के और लाभ क्या हैं, कहां इसका बाजार है, इन विषयों पर हाजिर है पड़ताल।

ड्रैगन फ्रूट के लाभ

ड्रैगन फ्रूट लगाने से लाभ पक्का होने की वजह कई प्रदेशों के साथ ही विदेशों में इस स्पेशल फ्रूट की भारी डिमांड है। खास बात यह भी है कि, ड्रैगन फ्रूट लगाने के लिए किसानों को सरकारी मदद भी दी जाती है।

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जिले का उद्यान विभाग ड्रैगन फ्रूट की खेती के इच्छुक किसान को अनुदान प्रदान करता है। अनुदान योजना की शर्तें पूरी करने पर प्रति एकड़ के मान से किसान को ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अनुदान दिया जाता है।

पैदावार बढ़ाने वाले कारक

ड्रैगन फ्रूट की ऑर्गेनिक खेती से लाभ है। वर्मी कंपोस्ट, जैविक खाद, गोमूत्र और नीम से बने कीटनाशक का इस्तेमाल ड्रैगन फ्रूट की उत्तम पैदावार में सहायक है। इसकी सिंचाई ड्रिप सिस्टम से होती है। खास बात यह है कि, जैसे-जैसे ड्रैगन फ्रूट का पेड़ पुराना होता जाता है, उसकी पैदावार क्षमता बढ़ती जाती है।

आयु 20 साल

ड्रैगन फ्रूट की आयु करीब 20 वर्षों से ज्यादा मानी गई है। इस अवधि के दौरान ड्रैगन फ्रूट का पेड़ न केवल खेत के लिए फायदेमंद साबित होता है बल्कि उसकी सेवा करने वाले किसान की भी तकदीर बदल देता है।

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देश और विदेश में है मांग

ड्रैगन फ्रूट की मांग देश और विदेश में है। उत्तरी राज्यों लखनऊ, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में इसका अच्छा बाजार है। इसके अलावा विदेशों में भी ड्रैगन फ्रूट का निर्यात किया जाता है।

खराब न होने की खासियत

ड्रैगन फ्रूट की खास बात ये है कि यह फल जल्दी खराब नहीं होता। ज्यादा समय तक खराब न होने के इस गुण के कारण ड्रैगन फ्रूट की पैदावार से किसान की कमाई के अवसर कई सालों तक सतत बरकरार रहते हैं।

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हरदोई जिले में की जाने वाली इस स्पेशल फ्रूट की फार्मिंग किसानों के बीच चर्चा का विषय है। हरदोई के पहाड़पुर में इस स्पेशल फल की खेती की जा रही है। यहां के किसानों को लखनऊ में एक सेमिनार के दौरान ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) के फल को देखने का अवसर मिला था। इस फल की खेती और उससे मिलने वाले लाभों को जानकर वे इसकी खेती करने लिए आकर्षित हुए थे। ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में सेमिनार से हासिल जानकारी जुटाने के बाद उन्होंने अपने खेत पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दिया।

जिला उद्यान विभाग की मदद

जिला उद्यान विभाग की सहायता से किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है। जिसमें सलाहकारी एवं आर्थिक मदद शामिल है।

सीमेंट का पोल

इसकी खेती के लिए सीमेंट के पोल के सहारे 4 पौधे लगाए जाते हैं, क्योंकि समय के साथ इसका पेड़ काफी वजनदार होता जाता है। ड्रैगन फ्रूट पेड़ों से उत्पादन क्रमशः बढ़ते हुए 25 से 30 किलो के आसपास पहुंच जाता है।

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उद्यान विभाग ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किसानों को आर्थिक मदद प्रदान करता है। जिला उद्यान विभाग से ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए जरूरी जानकारी प्रदान की जाती है। जैविक खेती की मदद से इसकी सफल किसानी का खास मंत्र बताया जाता है। ड्रैगन फ्रूट पोषक तत्वों से भी भरपूर है। इस फल में फाइबर की प्रचुर मात्रा तो उपलब्ध है ही, साथ ही इसका व्यापक बाजार भी इसकी खेती के लिए किसानों को प्रेरित कर रहा है।